Tuesday, January 11, 2011

आईपीएल की अजब कहानी, क्रिकेटरों पर बरसा सोने का पानी- दादा के नाम छोटी सी पोस्ट Dada cricketing career over after IPL auction? A Micro-post

भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी धनराज पिल्ले ने एक बार कहा था कि उन्हें हॉकी ने इज्जत, मान दिया पर पैसा नहीं दिया। ये कहते हुए उनकी आँखें छलक आईं थीं लेकिन हॉकी के लिये उनका समर्पण व प्यार बरकरार रहा। आज आईपीएल में जब युवा क्रिकेटरों के ऊपर पैसे की बरसात होते देखा तो सोच रहा हूँ कि कहीं हमारे युवाओं में "लालच" न बढ़ जाये और हॉकी को जो थोड़े बहुत सितारे मिल रहे हैं वे खत्म न हो जायें। लेकिन एशियन गेम्स और कॉमेनवेल्थ की कामयाबी मुझे झुठला भी सकती है।

नीलामी में उगते सूरज को सलाम किया और जम कर धन वर्षा की गई। ब्लैक मनी को व्हाईट किये जाने की इस प्रथा को शुरु किये जाने वाले "जनक" के ऊपर केस चल रहा है और उसकी टीमें राजस्थान और पंजाब अब आईपीएल में दोबारा अपनी किस्मत आजमाने के लिये जम कर मैदान में कूद चुकी हैं। कमोबेश यही हाल भारतीय टीम को टीम इंडिया बनाने वाले "दादा" का रहा। गौरतलब है कि सौरव गांगुली एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक हैं और उनकी गिनती कोलकाता के सबसे अमीर खानदानों में होती है। जिस खेल को उन्होंने अपनाया और पैसे के लिये नहीं बल्कि "पैशन" के लिये खेला उसी खेल में बाज़ार के "खिलाड़ियों" ने उन पर बोली भी नहीं लगाई। भारत को विश्वकप के फ़ाइनल तक पहुँचाने वाले कप्तान की किस्मत शायद उनके लिये ग़मों और मुश्किलों का "कप" भर रही है। एक भी खरीददार न मिलने का ग़म ज्यादा है या फिर चैपल प्रकरण के बाद टीम से दुखदाई विदाई का ये उनसे बेहतर कोई नहीं जानता।

लोग कहते हैं कि गाँगुली  में अहंकार है और उनमें "एटीट्यूड प्रॉब्लम" है। जानकारी के लिये बता दें कि इसी आईपीएल में सौरव गाँगुली की टीम में जगह बनाने वाला विश्व के दस सबसे अहंकारी खिलाडियों में जिसका नाम शामिल है वो युवा युवराज भी खेल रहा है। पिछले सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में से एक सौरव गाँगुली के साथ किस्मत ने कितना ही बड़ा खिलवाड़ क्यों न किया हो लेकिन उनके चेहरे पर निराशा के बादल नहीं आते। कहते हैं इज़्ज़त और मान खरीदा नहीं जा सकता। भारत की "दीवार" जिसे ऑफ़साईड का भगवान कहती थी और भारतीय क्रिकेट को ऊँचाइयों और बुलंदियों तक पहुँचाने वाले इस महान खिलाड़ी को पैसे से नहीं अपने खेल से इज़्ज़त मिलती है।

चलते चलते गीतों भरी गुस्ताखियाँ

सौरव गाँगुली: हम से क्या भूल हुई, जो ये सजा हमको मिली....
शाहरूख खान: अब तेरे बिन जी लेंगे हम...
जवान खून(आईपीएल के लिये): दिल चीज़ क्या है..आप मेरी जान लीजिये....
टीमों के मालिक: आईपीएल है एक जुआ, कभी जीत भी कभी हार भी....
बीसीसीआई: पैसा, ये पैसा.... न बाप बड़ा न मैया... सबसे बड़ा रुपैया...


धूप-छाँव के नियमित स्तम्भ


गुस्ताखियाँ हाजिर हैं




No comments: